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Stress: यह सिर्फ आपके दिमाग की बात नहीं, पूरे शरीर की समस्या है

Stress: यह सिर्फ आपके दिमाग की बात नहीं, पूरे शरीर की समस्या है

पुराना Stress सिर्फ मानसिक समस्या नहीं है, यह पूरे शरीर को प्रभावित करता है। यह तंत्रिका तंत्र को ‘जीवित रहने के मोड’ में फँसा देता है, जिससे पाचन, हार्मोन और प्रतिरक्षा प्रणाली प्रभावित होती है। शुरुआती संकेतों को पहचानना और असली जड़ पर काम करना ही इस चक्र से निकलने का सही तरीका है।
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किसी से भी पूछ लो कहेगा या बहुत Stress में हूं। किस चीज का है ये Stress। ये तनाव (Stress) हमारी जिंदगी का हिस्सा कैसे बन गया है। ये तनाव हर साल लाखों लोगों को बीमार कर रहा है और लाखों की जान  ले लेता है। तनाव को असल में हमने यह मान लिया है कि हमारे मन में है, या यह हमारी आदत और आनुवंशिकता का हिस्सा है।  सच बात तो यह है कि पुराना तनाव पूरे शरीर को प्रभावित करता है। आपका Nervous System हजारों साल पुराने “जीवित रहने के मोड” में फँस जाता है। जब तक आप इसे फिर से व्यवस्थित नहीं करते, आप थकान, दिमागी धुंध और धीरे-धीरे बर्नआउट में फँसे रहेंगे।

शुरुआती संकेत, जिन्हें हम अक्सर नज़रअंदाज़ करते हैं:

  • सीने में दबाव या बेचैनी
  • दिमाग में तेज़-तेज़ चलते विचार
  • ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
  • पाचन की समस्या
  • बाल झड़ना
  • 8 घंटे सोने के बाद भी थकान महसूस होना

हम इन्हें उम्र या “जीवन का हिस्सा” मान लेते हैं, लेकिन ये तनाव के शुरुआती अलार्म हैं।

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Stress कैसे काम करता है?

Stress सिर्फ एक भावना नहीं, बल्कि एक जैविक प्रक्रिया है। जब यह पुराना हो जाता है, आपका शरीर Survival Mode में चला जाता है—

  • पाचन धीमा पड़ जाता है
  • हार्मोन असंतुलित हो जाते हैं
  • शरीर की मरम्मत और रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है

इसे ऐसे समझिए जैसे स्कूल में फायर अलार्म बज जाए—पढ़ाई बंद, कक्षाएँ रुक गईं। अगर अलार्म कभी बंद ही न हो, तो यही पुराना तनाव है।

शरीर पर गहरा असर:

  • तंत्रिका तंत्र: हमेशा सतर्क रहने की आदत
  • हार्मोन: लगातार Cortisol और Adrenaline का उछाल (जो शुरू में अच्छा लगता है, पर धीरे-धीरे नुकसान करता है)
  • मेटाबॉलिज़्म: थायरॉइड धीमा, वसा बढ़ना, भूख कम होना
  • प्रतिरक्षा तंत्र: सूजन बढ़ना, शरीर की मरम्मत रुकना

क्यों साधारण उपाय काम नहीं करते?

ध्यान, गहरी सांस, छुट्टियाँ—ये थोड़े समय के लिए राहत देते हैं। लेकिन अगर आग लगी हो, तो सिर्फ अलार्म बंद करने से काम नहीं चलेगा। आपके शरीर को यह महसूस होना चाहिए कि अब वह सुरक्षित है।

सबसे बड़ी गलती:

उत्तेजना को आराम समझ लेना—जैसे Netflix, सोशल मीडिया या लगातार स्क्रॉल करना।

ये आपको सुन्न कर देते हैं, लेकिन शरीर को असली आराम नहीं देते। वास्तविक रिकवरी तब होगी जब हम  Present Moment में रहना सीख जाएंगे, शांति (Calmness) अनुभव करेंगे और असली दुनिया से जुड़ाव (Connection) महसूस करेंगे।

तनाव से बाहर निकलने के कदम:

  1. सच का सामना करें: एक निर्णय पर पहुंचे कि आप किन चीज़ों से भाग रहे हैं—
  • पैसों की चिंता
  • ज़हरीले रिश्ते
  • नौकरी जो आपकी ऊर्जा चूस रही है
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यही आपका “रास्ता बाहर निकलने का नक्शा” है।

  1. रोज़मर्रा के बदलाव करें
  • पर्याप्त नींद लें
  • स्पष्ट सीमाएँ तय करें
  • बिना फोन के प्रकृति में टहलें
  • पौष्टिक भोजन करें

ये आपके शरीर को संदेश देते हैं—आप सुरक्षित हैं।

असली समाधान यही है कि तनाव-प्रबंधन तकनीकें आपको सामना करने में मदद करती हैं, लेकिन असली उपचार तभी होता है जब आप समस्या की जड़ पर काम करते हैं।

अपने जीवन की वास्तविक चुनौतियों को नज़रअंदाज़ करके कोई शॉर्टकट नहीं है।  यह हमेशा याद रखें कि पुराना तनाव आपका दुश्मन नहीं—यह आपका शरीर है जो आपको बचाने की कोशिश कर रहा है। अगर आपको शांति चाहिए, तो अपने लिए सुरक्षा और स्थिरता बनाएँ।

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